कहीं आपके घर में तो पैदा नहीं रहे मच्छर, सावधानी बरतें-नहीं तो फेल सकता है डेंगू-मलेरिया : डॉ. नवनीत शर्मा
- रविवार को सूखा दिवस मनाने की अपील, सोर्स रिडेक्शन और एंटीलार्वल गतिविधियां जारी
- 17 जुलाई से घर-घर सर्वे हुआ शुरू, 1446 टीमों ने 13,698 घरों की जांच कर 424 मरीजों को दी दवा, 4042 स्थानों पर टेमीफॉस, 1566 स्थानों पर एमएलओ डलवाया
हनुमानगढ़। यदि आपके घर में कूलर, छत पर रखी टंकी या परिंडे, गमले या खाली प्लाट में पिछले कई दिनों से पानी भरा है, तो उसे तुरंत खाली कर लें। इसके अलावा कहीं पर भी लीकेज से जमा पानी हो रहा है, तो उसे भी तुरंत खाली करें। क्योंकि थोड़े से पानी में ही हजारों-लाखों मच्छरों का लार्वा पनप रहा होता है। हम सभी को अपने-अपने घरों का ध्यान रखना होगा। कहीं ऐसा न हो कि कई दिन से भरे बरसाती पानी में मच्छर (लार्वा) पनप रहा हो, क्योंकि यही मच्छर डेगू, मलेरिया, चिकनगुनिया व जीका वायरस जैसी जानलेवा बीमारी का कारण बनता है।
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि मौसम में बदलाव आ रहा है। ऐसे में हमें मच्छरजनित बीमारियों से अपना व अपने परिवार का बचाव करना होगा। उन्होंने कहा कि मच्छर केवल बाहर नहीं होते, बल्कि हमारे घर के अंदर ही पैदा हो रहे हैं। हमें अपने घर के अंदर होने वाले भी मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए तैयार रहना होगा ताकि हम इससे होने वाले बीमारियों से बच सकें। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में बदलाव आने के साथ कूलर में जमा पानी मच्छरों का प्रजनन केन्द्र बन रहा है। ऐसे में हमें चाहिए कि हफ्ते में एक बार घरों व दफ्तरों में कूलरों का पानी निकालकर उसे साफ अवश्य करें। कूलर के पैड्स को धूप में सूखा कर रखें। इसके अलावा घरों की छतों पर पड़ी टंकियां, टायर, गमले, परिंडे एवं खाली डब्बे जिनमें बारिश का पानी इक_ा हुआ है, उसे भी नष्ट कर दें या तो उसमें केरोसिन डाल दें, ताकि उसमें मच्छर का लार्वा न पनप सकें। इसके अलावा घर के नजदीक खाली प्लाट में पानी एकत्र हो, तो उसे भी खाली करवाएं।
डॉ. शर्मा ने कहा कि स्नानघर और शौचालयों की नियमित फिनाइल से सफाई करें एवं कहीं पर भी पानी जमा ना होने दें। गीले कपड़ों को स्नानघर में ना सुखाएं। गंदे बर्तन, सब्जियों के एकत्रित कचरे की वजह से रसोईघर भी आसानी से गंदा हो जाता है। समय पर साफ-सफाई ना होने से रसोई घर में भी मच्छर प्रजनन हो सकते हैं। रसोई में जो हम खाना बनाते है, वह भी मच्छरों से प्रदूषित ना हो, इसका हमें ध्यान देना चाहिए। बाग-बगीचों में भी पेड़-पौधों को दिया हुआ पानी कई बार इक_ा हो जाता है, जो मच्छरों का घर बन जाता है। बगीचे से अनावश्यक वस्तुओं और कचरे को हटा दें। अपने बगीचे मे नीलगिरि, सिट्रोनेला और युकलिप्टुस के पौधे लगाए। इसके अलावा फ्रिज की ट्रे, वाशबेसिन सिंक के नीचे, कोठरी में, फर्नीचर के नीचे या कपड़े धोने के कमरे में आपको मच्छर या लार्वा आसानी से मिल सकते हैं, जिसकी नियमित सफाई आवश्यक है।
विभाग द्वारा मौसमी बीमारियों पर रोकथाम के निरंतर एवं प्रभावी प्रयास
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने बताया कि चिकित्सा विभाग द्वारा मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 17 जुलाई मंगलवार से स्वास्थ्यकर्मियों की टीमों द्वारा घर-घर जाकर टंकियों, गमलों, परिंडों, कूलर, होदियों की जांच कर रही है एवं लार्वा नष्ट करने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि 17 जुलाई से अब तक 1446 टीमों ने 13,698 घरों की जांच की है। इनमें 4042 स्थानों पर टेमीफॉस, 1566 स्थानों पर एमएलओ डलवाई गई। इसके अलावा जांच में 435 घरों में लार्वा पाया गया, जिन्हें नष्ट किया गया। इस दौरान 524 बुखार के मरीज मिले, जिन्हें दवाएं देकर उपचार किया गया। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए विभाग के चिकित्साकर्मी निरंतर जलस्त्रोतों में एमएलओ और टेमिफोस का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे मच्छरों की व्यत्पत्ति पर रोक लगाकर डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों पर रोकथाम लगाई जा सके। मौसमी बीमारियों से बचार एवं उपचार की जानकारी उपलब्ध कराने की दृष्टि से सभी चिकित्सा संस्थानों यथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले मरीज और उनके परिजनों को मौसमी बीमारियों से बचाव हेतु महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। ब्लॉक एवं सैक्टर बैठकों में भी स्वास्थ्यकर्मियों को मौसमी बीमारियों के संबंध में जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा जिला प्रशासन, स्थानीय निकाय, पीएचईडी, महिला बाल विकास विभाग, विद्यालयों सहित अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर जल भराव की स्थिति को रोकने, स्वास्थ्य शिक्षा की जानकारी प्रसारित करने सहित मौसमी बीमारियों से बचाव से ऑडियो-वीडियो के संदेशों को प्रसारित किया जा रहा है।
ऐसे रखें बचाव
डॉ. अखिलेश शर्मा ने बताया कि साफ-सफाई के साथ-साथ हमें बाहर से आने वाले मच्छरों से भी बचाव रखना होगा। रात के समय ढीले और पूरी तरह से ढके हुए कपड़े पहनें। रात में खुद को बचाने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें। खिड़की एवे दरवाजों पर जाली लगवाएं, जिससे आप मच्छरों को घर के अंदर आने से रोक पाएं। मच्छरों से बचाव के लिए घर में रहते हुए गुडनाइट एक्टिव सिस्टम का उपयोग करें और मच्छरों को दूर भगाएं। उन्होंने कहा कि दिन में मच्छर ज्यादातर अंधेरी जगहों, दीवार के कोनों, परदों के पीछे, सोफे, बेड, टेबल आदि के नीचे छुपे रहते हैं। मच्छरों को अपने घर से दूर रखने के लिए रोजाना इन जगहों की अच्छी तरह से सफाई करें। मच्छर शाम और रात में रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए शाम को जरूरत पडऩे पर ही कमरों में लाइट जलाएं। मच्छर भगाने की क्वाइल को अधिकतर लोग रात में जलाते हैं, लेकिन मच्छर दिन में भी काटते हैं, इसलिए इन्हें दिन में भी इस्तेमाल करना चाहिए। मच्छरों से बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप खुद भी पूरी बाजू वाले कपड़े पहनें और बच्चे को भी ऐसे ही कपड़े पहनाएं। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कपड़ों का रंग हल्का हो, क्योंकि गहरे रंगों की तरफ मच्छर जल्दी आकर्षित होते हैं।
रविवार को मनाएं सूखा दिवस
डॉ. अखिलेश शर्मा ने आमजन से अपील की कि रविवार 27 जुलाई को अपने-अपने घरों में सूखा दिवस (ड्राई-डे) मनाएं। उन्होंने कहा कि सूखा दिवस पर घरों में परिंडे, मटके कूलर, फ्रिज की ट्रे, छतों पर जमा पानी इत्यादि को साफ-सफाई कर मच्छर के लार्वा को पैदा होने से रोका जा सकता है। कोई भी कबाड़ का सामान टायर डिब्बे एवं अन्य सामग्री जिसमें पानी जमा रहा सकता है, को आवश्यक रूप से साफ करें। इसके अलावा सरकारी कार्यालय में भी शुक्रवार को सूखा दिवस मनाने की अपील की है।
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