The India News 10

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क्यूॅं न कहूॅं सच

बिना स्किल डिग्री के बेहतर रोजगार संभव नहीं- दिनेश जुनेजा*

 *कृषि उत्पाद प्रशिक्षण के सफल प्रतिभागियों को प्रदान किए प्रमाण-पत्र* 





 *एनईपी-2020 में कौशल आधारित क्रेडिट अलॉटमेंट पर विशेष चर्चा हुई* 


 *बिना स्किल डिग्री के बेहतर रोजगार संभव नहीं- दिनेश जुनेजा* 


हनुमानगढ़, 2 फरवरी।  

भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की पहल पर श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित कृषि उत्पाद प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र में 25 अनुसूचित जाति के प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गए। बीते वर्ष 29 नवंबर से  11 जनवरी, 2024 तक चले इस 6 सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन एमएसएमई डीएफओ जयपुर ऑफिस के सहायक निदेशक तरुण भटनागर ने किया था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैम, जैली, कैचप, स्क्वैश, जीवामृत, बीजामृत, कॉटन सीड प्रोडक्शन एंड मार्केटिंग आदि 20 प्रकार के उत्पाद बनाने की विधि सिखाई गयी। फैकल्टी ऑफ़ एग्रीकल्चर के डॉ. अभिनव कुमार ने इस उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी साझा की। 


इस अवसर यूनिवर्सिटी के निदेशक दिनेश कुमार जुनेजा ने कहा कि बिना स्किल के हासिल की गई डिग्री से आज के दौर में बेहतर रोजगार संभव नहीं है। इसी बात को प्रभावी ढंग से शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रमाण-पत्र के आधार पर बैंकों से ऋण और संबद्ध योजना में सब्सिडी का फायदा प्रतिभागी ले सकेंगे। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और कृषि विभाग के पूर्व उप निदेशक जयनारायण बेनीवाल ने प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर दिया। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि कृषि विज्ञान के स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान की बजाय खेत में फसल, बीज उत्पादन एवं उससे जुड़े आधुनिक यंत्रों आदि की व्यावहारिक जानकारी जरूरी है।   


विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर वैभव श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में   कौशल आधारित क्रेडिट अलॉटमेंट विषयक पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन में बताया कि 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्किल आधारित क्रेडिट्स का प्रावधान किया गया है। लगभग 60 से 70 प्रतिशत कौशल क्षमता सिखाने का लक्ष्य है सरकार का. तीन और चार वर्षीय स्नातक डिग्री में. जिसके लिए न्यूनतम 12 और अधिकतम 30 क्रेडिट अर्जित करने होंगे।


प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव ने बताया कि इन कौशल क्षमता क्रेडिट्स को देने के लिए अलग अलग विधाओं में गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट ने सतत प्रयास कर केंद्र सरकार से इन्हें सिखाने की जिम्मेदारी ली है। इसी प्रावधान के चलते विश्वविद्यालय में सभी स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को अलग-अलग विधाओं में नामांकित करने के लिए इस विशेष सत्र में आमंत्रित किया गया और उन्हें ये बताने की कोशिश की गई कि पारंपरिक पाठ्यक्रम के साथ कौशल आधारित इलेक्टिव्स पर भी ध्यान केंद्रित करें। 

यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल गोदारा ने इस तरह के संवाद सत्रों को स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी बताया। सत्र का संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में फैकल्टी मेंबर्स और बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने भाग लिया। 

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