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हनुमानगढ़ का मिनी चण्डीगढ़ का सपना

 हनुमानगढ़ का मिनी चण्डीगढ़ का सपना 





हनुमानगढ़ के जनप्रतिनिधियों ने एक बड़ा सपना देखा था, जो न सिर्फ इस जिले के विकास के लिए था, बल्कि इस क्षेत्र की पहचान को भी नया रूप देने वाला था। उनका सपना था हनुमानगढ़ को मिनी चण्डीगढ़ बनाना, जहां की सड़कों पर चलना एक सुखद अनुभव हो, लेकिन इस सपने की सच्चाई ने कड़वे एहसास के साथ कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनप्रतिनिधियों की उम्मीदों के बीच, नगर परिषद के कुछ करप्ट कर्मचारी और अधिकारीयों ने लोगों की आशाओं को चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने हनुमानगढ़ की सड़कों को ऐसा बना दिया है कि उनका हाल किसी तबेले से कम नहीं है। बड़े-बड़े ओ गढ़े ,गिट्टी और मिट्टी सड़कों पर बिखरी हुई दिखती है, जो यहां की शोभा को धूमिल कर रही है।

स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रियाएं भी इसी निराशा को दर्शाती हैं। रोजमर्रा की जिंदगी जीने में लोग हर दिन नई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। बारिश के दिनों में सड़कों पर जलभराव की स्थिति ने वहां चलना तो मुश्किल कर दिया है, बल्कि यह स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न करता है। नगर परिषद की अनदेखी और अधिकारियों की लापरवाही ने इस जिले की छवि को दागदार बना दिया है।

आर्थिक विकास की बातें बहुत की जाती हैं, लेकिन इस तरह की बुनियादी ढांचों का भविष्य अंधकारमय नजर आता है। जिन सड़कों पर पैदल चलने में भी परेशानी होती है, वहां से निवेश और विकास का सपना कैसे साकार होगा? ये सवाल अब हनुमानगढ़ के नागरिकों के मन में घर कर गए हैं।

हनुमानगढ़ के लोगों का सपना एक स्वच्छ और व्यवस्थित शहर है, जहां की सड़कों पर चलते हुए गर्व हो। लेकिन जब तक मालिकाना भावना के साथ काम नहीं किया जाएगा, तब तक ये सपने अधूरे रहेंगे। अब समय है जागरूकता फैलाने का, जिससे हर नागरिक समर्पित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं और हनुमानगढ़ के शुभ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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