मौत का कुआं : सुरक्षा की अनदेखी
हनुमानगढ़ जंक्शन सतीपूरा से चूना फाटक के बीच बने अंडर पास को स्थानीय जनजीवन में 'मौत का कुआं' नामक उपाधि मिली है। यह अंडर पास, जिसे चार साल पहले लगभग डेढ़ -दो करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया, आज तक लोगों के लिए खतरे का एक बड़ा स्रोत बन गया है। जो लोग रोज़ाना इस मार्ग से गुजरते हैं, उन्होंने देखा है कि किस प्रकार इस अंडर पास में दर्जनों एक्सीडेंट हो चुके हैं, और जो सिर्फ सड़क पर असावधानी से चलने वाले वाहन चालकों के लिए ही नहीं, बल्कि राहगीरों और आसपास के निवासियों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय रहा है।
इस अंडर पास के निर्माण में तकनीकी खामियाँ साफ नजर आती हैं। सौ फूटी रोड की ओर वाहन चढ़ते समय ऊंचाई ज्यादा हो जाती है, जिससे गति बढ़ते ही वहां से गुजरते भारी वाहनों के साथ टकराने का ख़तरा बढ़ जाता है। इस संरचना की डिजाइन ही इतनी खतरनाक है कि इसका नाम 'मौत का कुआं' रखा गया। दुर्भाग्य से, हाल ही में इसके फर्श भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे इसकी स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।
स्थानीय प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा अव्यवस्थित निर्माण के लिए जवाबदेही से मुंह मोड़ लेना एक और गंभीर समस्या बन चुका है। पीडब्ल्यूडी विभाग के एई श्रवण भूकर ने स्थिति को सुधारने के लिए 5-7 दिनों के भीतर मरम्मत का आश्वासन दिया, लेकिन उनकी उदासीनता से यह साफ है कि न तो उन्हें इस मुद्दे की गंभीरता का आभास है और न ही उन्हें आज तक दुर्घटनाओं की संख्या के बारे में सूचित किया गया है। यह शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण ही है कि लोगों की जान को इस प्रकार दांव पर लगाया जा रहा है।
अधिकारियों के बीच बढ़ते भ्रष्टाचार और अनदेखी से उपजी यह समस्या स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। बेहतरीन निर्माण सामग्री का प्रयोग न होने के कारण न केवल अंडर पास का हाल बेहाल है, बल्कि इसकी देखभाल की कमी के कारण पानी की निकासी का कोई उपाय नहीं किया गया। जनता की समस्याओं की अनदेखी करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार की उच्च स्तरीय योजनाएँ रागिनी के बाहर ही हैं, जिनका असर आम जन जीवन पर प्रतिकूल पड़ रहा है। सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं, ताकि इस खतरनाक अंडर पास का समाधान निकाल सकें और नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें।











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