*पालनागृह में पहली बार छोड़ी गई नवजात बेटी, बाल कल्याण समिति ने लिया संरक्षण में*
*अध्यक्ष गोयल बोले - पालनागृह में शिशु को छोड़ना समाज के लिए प्रेरणादायक*
हनुमानगढ़। शहर के बाल कल्याण समिति कार्यालय के बाहर स्थापित पालनागृह में पहली बार किसी ने नवजात बेटी को छोड़ा। यह मामला बुधवार को सामने आया, जब बाल कल्याण समिति ने पालनागृह में नवजात बच्ची के छोड़े जाने की सूचना पर तुरंत कार्रवाई की। बच्ची को तत्काल समिति के संरक्षण में लिया गया और उसे राजकीय अस्पताल के स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भेजा गया, जहां उसकी देखभाल की जा रही है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जितेंद्र गोयल सदस्यों विजय सिंह चौहान , प्रेम चंद शर्मा ने इस घटना को समिति के जागरूकता अभियान का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, हम लंबे समय से लोगों से अपील कर रहे हैं कि यदि वे किसी कारणवश अपने बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ हैं, तो उसे फेंकने या नुकसान पहुंचाने की बजाय पालनागृह में छोड़ दें। यह पहली बार है जब किसी ने इस अपील पर अमल किया है। यह हमारी जागरूकता के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। गोयल ने बताया कि समिति का मुख्य उद्देश्य हर बच्चे को मां का स्नेह और परिवार का प्यार दिलाना है। इसके साथ ही, यह पहल निःसंतान दंपतियों के लिए भी आशा की किरण बन सकती है, जो दत्तक ग्रहण के माध्यम से माता-पिता बनने का सुख प्राप्त कर सकते हैं। बच्ची को राजकीय अस्पताल के स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में रखा गया है, जहां डॉक्टर हरविंद्र सिंह और उनकी टीम उसकी देखभाल कर रही है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची फिलहाल स्वस्थ है, लेकिन उसकी पूरी मेडिकल जांच की जा रही है। अध्यक्ष गोयल ने कहा कि बच्ची की पूरी जांच के बाद उसे कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण के लिए लीगल फ्री किया जाएगा। इसके बाद केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा भावी माता-पिता का चयन किया जाएगा। चयनित माता-पिता के प्रस्ताव को दत्तक ग्रहण के लिए बाल कल्याण समिति को रेफर किया जाएगा।
*समाज के लिए प्रेरणा*
गोयल ने इस घटना को समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बताया और कहा कि अनचाहे शिशुओं को फेंकने या नुकसान पहुंचाने की घटनाओं को रोकने के लिए पालनागृह जैसी सुविधाओं का सही उपयोग जरूरी है। उन्होंने अपील की कि समाज के लोग इस पहल को समझें और जरूरतमंद बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य देने में सहयोग करें। गोयल ने कहा कि यह घटना समाज में एक सकारात्मक संदेश देने वाली है। एक ओर जहां बच्ची को संरक्षण और उचित देखभाल मिली है, वहीं यह घटना अन्य माता-पिता के लिए भी एक विकल्प प्रस्तुत करती है, जो किसी कारणवश अपने नवजात शिशु का पालन-पोषण नहीं कर सकते। बाल कल्याण समिति ने इस घटना को समाज में बदलाव की दिशा में एक कदम बताया और उम्मीद जताई कि भविष्य में लोग इस पहल का उपयोग करेंगे, जिससे अनचाहे बच्चों को सुरक्षित और सुखद भविष्य दिया जा सके।
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