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बिनानी बिल्डिंग का भविष्य : कानूनी उलझनें और......

 बिनानी बिल्डिंग का भविष्य : कानूनी उलझनें और......






बीकानेर  बिनानी बिल्डिंग का मामला हाल ही में उच्च न्यायालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीकानेर की कोयला गली में स्थित यह इमारत, जहां सागर प्लाजा शॉपिंग सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने अतिरिक्त भूमि के नियमितीकरण के लिए नगर निगम में आवेदन दिया था, अब कानूनी पेचिदगियों के कारण खतरे में है। माननीय उच्च न्यायालय ने 15-12-2023 को निर्देश दिए कि नगर निगम को दो महीने के भीतर इस आवेदन पर निर्णय लेना है, साथ ही अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ करनी होगी।

उच्चतम न्यायालय का हालिया आदेश स्पष्ट करता है कि निर्माण के बाद नियमितीकरण के आवेदनों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस आदेश से यह सिद्ध होता है कि बिनानी बिल्डिंग का निर्माण बिना वैध अनुमोदन के हुआ था और इसे ध्वस्त करने के निर्देश अधिकारों की गंभीरता को दर्शाते हैं। ऐसे निर्णयों से यह बात स्पष्ट होती है कि नियमों का उल्लंघन उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्णतः सहन नहीं किया जाएगा।

नगर निगम बीकानेर द्वारा अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश की अनुपालन में कार्यवाही शुरू हो चुकी है। अधिकारियों ने मौके पर निरीक्षण किया है और इसके बाद कार्रवाई की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया है। यह मामला केवल बिनानी बिल्डिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बीकानेर में अन्य निर्माणों में भी अवैध क्रियाकलापों की जांच के लिए एक उदाहरण बन सकता है।

दूसरी ओर, बिनानी ट्रस्ट का पंजीकरण भी शातिर कानूनी जाल में उलझा हुआ है। इससे संबंधित प्रकरण पहले ही सिविल कोर्ट वह उच्च न्यायालय द्वारा निस्तारित किया जा चुका है जिससे ट्रस्ट के पंजीयन में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं है। ट्रस्ट के पंजीकरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयास किए गए हैं, जिनमें उच्च न्यायालय ने सहायक आयुक्त को निर्णय लेने के आदेश दिए थे, लेकिन कानूनी प्रक्रियाएं अभी भी समाप्त नहीं हुई हैं।

इन सभी प्रक्रियाओं के बावजूद बिनानी बिल्डिंग का भविष्य अब अनिश्चितता के गर्त में है। नगर निगम की कार्यवाही, उच्च न्यायालय के आदेश, और ट्रस्ट प्रबंधन की भूख बनती संभावनाएं इस इमारत के कोर्ट में घाटे में होने का संकेत देती हैं। यह स्थिति बीकानेर में राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर गहरी चर्चा का विषय बन गई है, जिससे कानून और सुव्यवस्था की संकल्पना पर सवाल उठते हैं।

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