हनुमानगढ़ का बुरा हाल : भ्रष्टाचार और बुनियादी सु.......
हनुमानगढ़ के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। यहां मिनी चण्डीगढ़ बनाने का सपना लोगों के लिए एक दूर की कौड़ी बनकर रह गया है। नगर परिषद के अधिकारी और कर्मचारी खुद को तकनीकी ज्ञान के साथ एक बड़ा इंजीनियर मानते हैं, लेकिन जब सड़कें बनाने की बात आती है, तो उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगते हैं।
हाल ही में हुई बारिश ने हनुमानगढ़ की बुनियादी ढांचे की पोल खोलकर रख दी है। पानी निकासी की समस्याएं इतनी गंभीर हैं कि शहर की सड़कों पर पानी भर गया है। लोग परेशान हैं, पर नगर परिषद पर इसका कोई असर नहीं है। हालात की गंभीरता को देखकर लगता है कि सरकारी अधिकारी कभी-कभी अपनी जेब के बारे में ही ज्यादा सोचते हैं, शहर की भलाई उनकी प्राथमिकता नहीं है।
भ्रष्टाचार यहां एक व्यापक समस्या बन चुका है। अधिकारी और कर्मचारी अपने व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देते हैं। कुछ विकास कार्यों की वजह से हनुमानगढ़ की हालत देखने लायक नहीं रह गई है। हालात के सुधार के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा यदि अगले कुछ दिन लगातार बारिश हुई, तो हनुमानगढ़ पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा।
सड़कें, जो कभी फख्र का विषय थीं, अब केवल परेशानी का कारण बन गई हैं। सभी अंडरपासों में जलभराव के कारण बंद हो गए हैं। जिस तरह से नगर परिषद की कार्यप्रणाली है, उसके चलते लगता है जैसे कभी-कभी हमारी जेबें ही सही रहती हैं जबकि शहर का विकास पीछे छूट जाता है।
बाजारों और मोहल्लों की हालत अपनी गवाह है, लोग गिरती हुई दीवारें और खस्ताहाल सड़कों से गुजरने को मजबूर हैं। यह स्थिति रोजमर्रा की जिंदगी में बड़े व्यवधान पैदा कर रही है। क्या हनुमानगढ़ का यह हाल भविष्य में बदल पाएगा? हम यह तो नहीं कह सकते कि भ्रष्टाचार खत्म होगा, लेकिन इसे नियंत्रित कर कम किया जा सकता है।
आवश्यक है कि नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। केवल मुंह से बातें करना ही पर्याप्त नहीं है, ठोस कदम उठाने होंगे ताकि हनुमानगढ़ का भविष्य उज्जवल बन सके। यह समय समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने अधिकारों को समझे और एकजुट होकर बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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