मोबाइल फोन और परिवारिक रिश्तों का विघटन
आज के दौर में मोबाइल फोन ने हमारी ज़िंदगी में एक अहम स्थान बना लिया है, लेकिन इसके साथ कई गंभीर समस्याएं भी आई हैं। पति-पत्नी के रिश्तों में दूरियाँ लाने के लिए यह तकनीक एक प्रमुख कारण बन गई है। जब एक साथी अपने मोबाइल पर व्यस्त होता है, तो दूसरे को महसूस होता है कि उनकी अहमियत कम हो गई है। यह असंगति न केवल उनके रिश्ते को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक तनाव को भी जन्म देती है।
कई बार हम देखते हैं कि एक-दूसरे के साथ समय बिताने के बजाय, पति-पत्नी अपने-अपने मोबाइल में खो जाते हैं। इस स्थिति में बात करने, एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का मौका समाप्त हो जाता है। जिस समय को एक-दूसरे के साथ बिताया जाना चाहिए, वह समय अब स्क्रीन के सामने बीतने लगा है। इस तरह की दूरी धीरे-धीरे बड़े संघर्षों का कारण बनती है और अंततः रिश्ते को कमजोर करती है।
इसके अलावा, बच्चों के मामले में भी मोबाइल फोन ने माता-पिता के साथ उनके रिश्तों को प्रभावित किया है। जब बच्चे अपने खेल और वीडियो में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने माता-पिता को नजरअंदाज करने लगते हैं, तो यह चिंता का सबब बन जाता है। मोबाइल फोन की लत बच्चों को घर के माहौल से दूर कर देती है। परिवार की गतिविधियों में भागीदारी कम हो जाती है, जिससे माता-पिता और बच्चों के बीच संवादहीनता उत्पन्न होती है।
दूरी का यह जाल रिश्तों को तोड़ देता है। माता-पिता केवल अपने बच्चों के लिए एक साधन बनकर रह जाते हैं, जबकि उनके असली उद्देश्य और भूमिका कहीं पीछे छूट जाती है। ताकि परिवार में प्रेम और विश्वास बना रहे, ज़रूरी है कि मोबाइल फोन के उपयोग को सीमित किया जाए।
परिवार में स्वस्थ रिश्तों की पुनर्स्थापना के लिए नए नियमों का पालन करना आवश्यक है। खाना खाते समय या परिवार के संग फुर्सत के पलों में मोबाइल फोन से दूरी बनाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। पारिवारिक गतिविधियों, जैसे खेल या सिनेमा देखना, को बढ़ावा देकर एक-दूसरे के साथ बिताए गए समय को सार्थक बनाना चाहिए। एकजुटता और संवाद से ही रिश्तों को फिर से मजबूत किया जा सकता है।



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