हनुमानगढ़ में सफाई व्यवस्था का संकट
हनुमानगढ़ शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर हालात चिंताजनक बने हुए हैं। नगर परिषद कर्मचारियों के सहयोग की कमी के चलते विकास और स्वच्छता के प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं। एडीएम उम्मेदी लाल के नेतृत्व में स्वच्छता के प्रति जो दृढ़ संकल्प देखा गया, वह नगर परिषद के भीतर की असमानता और कार्य न करने वाले कर्मचारियों द्वारा कमजोर होता जा रहा है।
स्वच्छता अभियान के तहत, नगर परिषद ने कई नई पहलों की शुरुआत की है, लेकिन इन पहलों की सफलता के लिए सभी कर्मचारियों का समर्पित सहयोग होना अत्यंत आवश्यक है। अफसोस की बात है कि कुछ कर्मचारियों की लापरवाही ने पूरे शहर की सफाई व्यवस्था को प्रभावित किया है। गली-गली में फैला कचरा एक तरह से नगर परिषद की छवि पर एक धब्बा डालता है, जिससे नागरिकों के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है।
शहर की क्या स्थिति है यह तो केवल वहाँ रहने वाले लोग ही महसूस करते हैं। गली-गली, नाली-नाली कचरे से अटी पड़ी हैं, और अधिकारियों की सही सोच को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह महसूस होता है कि यदि नगर परिषद कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभाते, तो शहर की सफाई में निश्चित रूप से सुधार संभव होता।
नगर परिषद के अधिकारी, जिनका उद्देश्य शहर में स्वच्छता की मुहिम को आगे बढ़ाना है, उन्हें कर्मचारियों से समर्थन की आवश्यकता है। यदि यह सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है, तो स्वच्छता को सुनिश्चत करना कठिन हो जाएगा। यह आवश्यक है कि सभी स्तरों पर समन्वय और एकता स्थापित की जाए ताकि शहर के नागरिकों के लिए एक साफ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
अंत में, यह साफ है कि केवल अच्छी योजनाएँ और पहलें लेने से काम नहीं चलेगा। नगर परिषद कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों को समझते हुए, स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनना होगा। एकजुटता और सहयोग से ही हम अपने शहर को साफ-सुथरा रख सकते हैं। हनुमानगढ़ की मात्र कुछ गलियों की सफाई से काम नहीं चल सकता, पूरे शहर का स्वास्थ्य और स्वच्छता हमारी एकजुटता का परिणाम है।
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