राजस्थान एपिडेमिक एक्ट के तहत घर, भूखण्ड, निर्माणाधीन साइट में लार्वा मिलने पर भवन मालिक दिए जाएंगे नोटिस, कटेगा चालान : डॉ. नवनीत शर्मा
- वार अगेंस्ट लार्वा मिशन में जुटे स्वास्थ्यकर्मी, - आमजन से रविवार 2 नवम्बर को सूखा दिवस मनाने की अपील
- फील्ड में उतरकर घर-घर सर्वे के दौरान लार्वा खोजने और आमजन को स्वास्थ्य शिक्षा देने के निर्देश
- शिक्षण संस्थानों में बच्चों को घर में जमा पानी को नष्ट करने एवं अहतियात रखने की जानकारी
हनुमानगढ़। मौसम में बदलाव के साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमें सक्रिय होकर घरों एवं सार्वजनिक स्थानों पर मच्छरजनित लार्वा की जांच कर उन्हें नष्ट कर रही है। साथ ही फोगिंग, एंटीलार्वा गतिविधियां और जनजागरुकता गतिविधियों में भी तेजी लाई गई है। जिला एवं खण्ड स्तरीय अधिकारियों सहित समस्त स्वास्थ्यकर्मी भी फील्ड में उतरकर व्यापक सर्वे और आमजन को जागरुक कर रहे हैं। अधिकारियों ने आमजन से अपील की है कि घरों में पानी जमा न होने दें और बुखार की स्थिति में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच करवाएं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि राज्य के कुछेक जिलों में मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों की टीमें गत तीन माह से घर-घर में व्यापक सर्वे, एंटीलॉर्वल एक्टीविटी एवं जनजागरुकता के कार्यों में जुटी हुई है। सभी बीसीएमओ, मेडिकल ऑफिसर्स, बीपीओ, ब्लॉक आशा सुपरवाइजर, प्राथमिक स्वास्थ्य सुपरवाइजर 5-5 घरों में लार्वा रोधी गतिविधियों का सत्यापन करेंगे। सर्वे का मुख्य उद्देश्य डेंगू के लार्वा की पहचान करना और उसे नष्ट करना है। टीम उन स्थानों पर विशेष ध्यान दे रही हैं, जहां पानी जमा होने की संभावना अधिक होती है, जैसे कि कूलर, गमले, टूटे बर्तन, टायर आदि। सर्वे के दौरान जहां भी मच्छर का लार्वा पाया जा रहा है, उसे तुरंत नष्ट किया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य कर्मी लोगों को डेंगू के लक्षणों व इससे बचाव के उपायों के बारे में भी जागरूक कर रहे हैं। उन्हें समझाया जा रहा है कि वे अपने घर और आस-पास पानी जमा न होने दें। शहर व गांवों में फॉगिंग (धुएं का छिड़काव) और एंटी-लार्वा रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है ताकि व्यस्क मच्छरों व लार्वा दोनों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि घरों, खाली भूखण्डों, निर्माणाधीन भवनों में यदि मच्छरों का लार्वा या अन्य कोई लापरवाही पाई जाती है, तो राजस्थान एपिडेमिक एक्ट-1957 की धारा 2 के अंतर्गत भवन मालिक को नोटिस देकर चालान भी काटा जाएगा।
डॉ. शर्मा ने कहा कि खण्ड हनुमानगढ़, पीलीबंगा, टिब्बी, संगरिया एवं नोहर में स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा सर्वे एवं एंटीलॉर्वल गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिला एवं खण्ड स्तरीय अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के कार्यों का क्रॉस वैरिफिकेशन कर दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों ने शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को मच्छरजनित बीमारियों उपायों के बारे में जानकारी दी। बच्चों ने भी घर जाकर जमा पानी को नष्ट करने का विश्वास दिलाया।
रविवार 2 नवम्बर को सूखा दिवस दिवस मनाने की अपील
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने जिले के नागरिकों से अपील की है कि डेंगू से बचाव के लिए सामुदायिक भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि रविवार 2 नवम्बर को हर व्यक्ति अपने घर के सभी बर्तनों, कूलरों, गमलों, परिंडों, छतों पर रखें टायरों और टंकियों को खाली करके सूखाएं, ताकि उसमें पनप रहा लार्वा मच्छर बनने से पहले ही नष्ट हो जाए। उन्होंने कहा कि घरों में जमा साफ पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण होता है। ऐसे में जमा पानी को गिराकर नष्ट कर देना चाहिए ताकि लार्वा मच्छर नष्ट हो सकें। उन्होंने कहा कि खण्ड हनुमानगढ़, नोहर, टिब्बी और पीलीबंगा में नई लार्वा रोधी दवा बेसिलस थुरिंजिएंसिस इज़रायलेंसिस (बीटीआई) का भी उपयोग किया जा रहा है, जो कि प्राकृतिक है एवं अधिक समय तक प्रभावी है। उन्होंने कहा कि कि बुखार आने पर तत्काल नजदीकी चिकित्सक से जांच करवाएं, घर पर पेरासिटामोल के अलावा अन्य कोई दवा नहीं लें। झोला छाप आदि से इलाज करने से बचें और जागरूक बनें।
जागरूकता और बचाव
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि डेंगू फैलाने वाला मच्छर (एडीज) साफ और ठहरे हुए पानी में पनपता है और दिन में काटता है। इसलिए अपने घर और आस-पास कहीं भी पानी जमा न होने दें। कूलर, गमले, टूटे बर्तन, टायर और अन्य कंटेनरों को नियमित रूप से खाली करें और सुखाएं या उनमें पानी बदलें। यदि पानी जमा हो तो उसमें मिट्टी का तेल या लार्वानाशक दवा डालें। इसके अलावा पूरी आस्तीन के कपड़े और फुल पैंट पहनें, खासकर सुबह और शाम के समय। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें या मच्छर भगाने वाली क्रीम (रिपेलेंट), स्प्रे, कॉइल या मैट आदि का इस्तेमाल करें। खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं या यथासम्भव बंद रखें।
लक्षणों पर ध्यान दें और तुरंत डॉक्टर से मिलें
डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि यदि तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, उल्टी या जी मिचलाना, शरीर पर दाने लक्षण दिखाई दें, तो खुद इलाज बिल्कुल न करें। झोलाछाप से बचें और तुरंत किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से मिलें और चिकित्सक की राय अनुसार जांच कराएं। डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें। बुखार के लिए केवल पैरासिटामॉल ही सुरक्षित है। डॉक्टर की सलाह के बिना एस्प्रिन या डिस्प्रिन जैसी दवाएं बिल्कुल न लें, क्योंकि इनसे आंतरिक रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। तरल पदार्थों जैसे पानी, जूस, नारियल पानी का खूब सेवन करें।
डीपीसी (आईईसी) मनीष शर्मा ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों की जनजागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग हनुमानगढ़ के सोशल मीडिया प्लेटफार्म (टिवट्र, फेसबुक, इंस्टाग्राम) आईईसी हनुमानगढ़ को आवश्यक रूप से फॉलो करें।
- वार अगेंस्ट लार्वा मिशन में जुटे स्वास्थ्यकर्मी, - आमजन से रविवार 2 नवम्बर को सूखा दिवस मनाने की अपील
- फील्ड में उतरकर घर-घर सर्वे के दौरान लार्वा खोजने और आमजन को स्वास्थ्य शिक्षा देने के निर्देश
- शिक्षण संस्थानों में बच्चों को घर में जमा पानी को नष्ट करने एवं अहतियात रखने की जानकारी
हनुमानगढ़। मौसम में बदलाव के साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमें सक्रिय होकर घरों एवं सार्वजनिक स्थानों पर मच्छरजनित लार्वा की जांच कर उन्हें नष्ट कर रही है। साथ ही फोगिंग, एंटीलार्वा गतिविधियां और जनजागरुकता गतिविधियों में भी तेजी लाई गई है। जिला एवं खण्ड स्तरीय अधिकारियों सहित समस्त स्वास्थ्यकर्मी भी फील्ड में उतरकर व्यापक सर्वे और आमजन को जागरुक कर रहे हैं। अधिकारियों ने आमजन से अपील की है कि घरों में पानी जमा न होने दें और बुखार की स्थिति में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच करवाएं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि राज्य के कुछेक जिलों में मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों की टीमें गत तीन माह से घर-घर में व्यापक सर्वे, एंटीलॉर्वल एक्टीविटी एवं जनजागरुकता के कार्यों में जुटी हुई है। सभी बीसीएमओ, मेडिकल ऑफिसर्स, बीपीओ, ब्लॉक आशा सुपरवाइजर, प्राथमिक स्वास्थ्य सुपरवाइजर 5-5 घरों में लार्वा रोधी गतिविधियों का सत्यापन करेंगे। सर्वे का मुख्य उद्देश्य डेंगू के लार्वा की पहचान करना और उसे नष्ट करना है। टीम उन स्थानों पर विशेष ध्यान दे रही हैं, जहां पानी जमा होने की संभावना अधिक होती है, जैसे कि कूलर, गमले, टूटे बर्तन, टायर आदि। सर्वे के दौरान जहां भी मच्छर का लार्वा पाया जा रहा है, उसे तुरंत नष्ट किया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य कर्मी लोगों को डेंगू के लक्षणों व इससे बचाव के उपायों के बारे में भी जागरूक कर रहे हैं। उन्हें समझाया जा रहा है कि वे अपने घर और आस-पास पानी जमा न होने दें। शहर व गांवों में फॉगिंग (धुएं का छिड़काव) और एंटी-लार्वा रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है ताकि व्यस्क मच्छरों व लार्वा दोनों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि घरों, खाली भूखण्डों, निर्माणाधीन भवनों में यदि मच्छरों का लार्वा या अन्य कोई लापरवाही पाई जाती है, तो राजस्थान एपिडेमिक एक्ट-1957 की धारा 2 के अंतर्गत भवन मालिक को नोटिस देकर चालान भी काटा जाएगा।
डॉ. शर्मा ने कहा कि खण्ड हनुमानगढ़, पीलीबंगा, टिब्बी, संगरिया एवं नोहर में स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा सर्वे एवं एंटीलॉर्वल गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिला एवं खण्ड स्तरीय अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के कार्यों का क्रॉस वैरिफिकेशन कर दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों ने शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को मच्छरजनित बीमारियों उपायों के बारे में जानकारी दी। बच्चों ने भी घर जाकर जमा पानी को नष्ट करने का विश्वास दिलाया।
रविवार 2 नवम्बर को सूखा दिवस दिवस मनाने की अपील
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने जिले के नागरिकों से अपील की है कि डेंगू से बचाव के लिए सामुदायिक भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि रविवार 2 नवम्बर को हर व्यक्ति अपने घर के सभी बर्तनों, कूलरों, गमलों, परिंडों, छतों पर रखें टायरों और टंकियों को खाली करके सूखाएं, ताकि उसमें पनप रहा लार्वा मच्छर बनने से पहले ही नष्ट हो जाए। उन्होंने कहा कि घरों में जमा साफ पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण होता है। ऐसे में जमा पानी को गिराकर नष्ट कर देना चाहिए ताकि लार्वा मच्छर नष्ट हो सकें। उन्होंने कहा कि खण्ड हनुमानगढ़, नोहर, टिब्बी और पीलीबंगा में नई लार्वा रोधी दवा बेसिलस थुरिंजिएंसिस इज़रायलेंसिस (बीटीआई) का भी उपयोग किया जा रहा है, जो कि प्राकृतिक है एवं अधिक समय तक प्रभावी है। उन्होंने कहा कि कि बुखार आने पर तत्काल नजदीकी चिकित्सक से जांच करवाएं, घर पर पेरासिटामोल के अलावा अन्य कोई दवा नहीं लें। झोला छाप आदि से इलाज करने से बचें और जागरूक बनें।
जागरूकता और बचाव
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि डेंगू फैलाने वाला मच्छर (एडीज) साफ और ठहरे हुए पानी में पनपता है और दिन में काटता है। इसलिए अपने घर और आस-पास कहीं भी पानी जमा न होने दें। कूलर, गमले, टूटे बर्तन, टायर और अन्य कंटेनरों को नियमित रूप से खाली करें और सुखाएं या उनमें पानी बदलें। यदि पानी जमा हो तो उसमें मिट्टी का तेल या लार्वानाशक दवा डालें। इसके अलावा पूरी आस्तीन के कपड़े और फुल पैंट पहनें, खासकर सुबह और शाम के समय। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें या मच्छर भगाने वाली क्रीम (रिपेलेंट), स्प्रे, कॉइल या मैट आदि का इस्तेमाल करें। खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं या यथासम्भव बंद रखें।
लक्षणों पर ध्यान दें और तुरंत डॉक्टर से मिलें
डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि यदि तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, उल्टी या जी मिचलाना, शरीर पर दाने लक्षण दिखाई दें, तो खुद इलाज बिल्कुल न करें। झोलाछाप से बचें और तुरंत किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से मिलें और चिकित्सक की राय अनुसार जांच कराएं। डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें। बुखार के लिए केवल पैरासिटामॉल ही सुरक्षित है। डॉक्टर की सलाह के बिना एस्प्रिन या डिस्प्रिन जैसी दवाएं बिल्कुल न लें, क्योंकि इनसे आंतरिक रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। तरल पदार्थों जैसे पानी, जूस, नारियल पानी का खूब सेवन करें।
डीपीसी (आईईसी) मनीष शर्मा ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों की जनजागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग हनुमानगढ़ के सोशल मीडिया प्लेटफार्म (टिवट्र, फेसबुक, इंस्टाग्राम) आईईसी हनुमानगढ़ को आवश्यक रूप से फॉलो करें।












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