हनुमानगढ़ की राजनीति में पत्रकारिता की भूमिका
हनुमानगढ़ जिले की राजनीति में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का घमंड एक वास्तविकता है, लेकिन पत्रकारिता की शक्ति इस स्थिति को पलट सकती है। पत्रकारिता केवल समाचारों का प्रचार नहीं है, बल्कि यह जनता की आवाज उठाने और समाज के मुद्दों को सामने लाने का एक माध्यम है। जब पत्रकार संगठन एकजुट होकर काम करते हैं, तो उनके पास प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को सताने की क्षमता होती है।
वर्तमान समय में, हनुमानगढ़ में चाय समोसे की दुकानों पर चाय की चुस्की के बीच जब पत्रकार अपने विचार साझा करते हैं, तो वहाँ से निकलने वाली आवाज कुछ खास होती है। पत्रकारिता का यह रूप न केवल स्थानीय मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि इसकी गूंज जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक भी पहुंचती है। अगर पत्रकार संगठनों का एकजुट होना संभव हो, तो यह जिले की राजनीति को नया स्वरूप दे सकता है।
यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि पत्रकारिता एक समाज सेवा का कार्य है। पत्रकारिता केवल घटना की रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि एक मजबूत विपक्ष की भूमिका भी निभाती है। जब पत्रकार जनता के मुद्दों को उठाते हैं, तो वे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराते हैं। इससे घमंड चूर-चूर हो सकता है और सत्ता में बैठे प्रतिनिधियों को अपनी निष्क्रियता पर सोचना पड़ता है।
इसके अलावा, पत्रकारिता लोगों को जागरूक करने का कार्य करती है। एक मजबूत और सक्रिय पत्रकारिता का न केवल प्रभाव होता है, बल्कि यह समाज में विवेक और सच्चाई को बढ़ावा देती है। जब पत्रकार बिना किसी भय के अपने कार्य को अंजाम देते हैं, तब जनता के मुद्दे जनप्रतिनिधियों के समक्ष मजबूती से उठाए जा सकते हैं।
अंततः, हनुमानगढ़ जिले की राजनीति में पत्रकारिता और जनप्रतिनिधियों के बीच बेहतर संवाद की आवश्यकता है। पत्रकारिता का यह संघर्ष, जो चाय समोसे की दुकान से शुरू होता है, उसे जिले की चौहद्दियों से बाहर जाकर एक बड़ी परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरना चाहिए। संसाधनों और विचारों का यह मेल केवल एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाएगा।



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