आज महावीर जयंती पर विशेष
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भगवान महावीर का सत्य,अहिंसा,असितेय,अपरिग्रह,ब्रह्मचर्य का नियम मनुष्य के कल्याण का मार्ग है:राजकुमार सोनी श्रीगंगानगर
माता त्रिशला और पिता सिद्धार्थ के घर जन्मे "वर्धमान" जिन्होंने 30 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया और दीक्षा लेने के बाद 12 वर्ष तक कठोर तपस्या करी,आपके इस कठोर तप के कारण आप जैन समाज के 24 वें ओर अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर कहलाए।आपने आधुनिक जैन धर्म की रचना करने वाली अधिकांश शिक्षाओं का निर्माण किया।खुद को आत्म-मुक्त करने के लिए तपस्वी जीवन या कठोर आत्म-अनुशासन का पालन किया।
भगवान महावीर ने 'अहिंसा परमो धर्मः' का शंखनाद कर 'आत्मवत् सर्व भूतेषु' की भावना को देश और दुनिया में जाग्रत किया। "जियो और जीने दो" अर्थात् सह-अस्तित्व,अहिंसा एवं अनेकांत का नारा देने वाले महावीर स्वामी के सिद्धांत विश्व की अशांति दूर कर शांति स्थापित करने वाले हैं।
उल्लेखनीय है कि
गत वर्ष मुझे वाराणसी के पास सारनाथ के प्रसिद्ध 11 वें तीर्थंकर श्रेयांशनाथ जैन मंदिर जाने का अवसर मिला था।कहते हैं यह मंदिर भगवान महावीर के जीवन से जुड़े भित्तिचित्रों के लिए जाना जाता है।जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर के जीवन को दर्शाते हुए आकर्षक भित्तिचित्र है जो मन को मोह लेते हैं।
1824 में बना यह मंदिर,जैन धर्म की दिगंबर मठ शाखा का दर्शनीय स्थल है,मंदिर के दोनों ओर बगीचे और हरियाली है।
आज भगवान महावीर स्वामी जी की जयंती के पावन अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।भगवान महावीर स्वामी ने पूरी दुनिया को सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह,असितेय और ब्रह्मचर्य जैसे उच्च आदर्शों को अपनाने को कहा ओर इसे मानव के कल्याण का मार्ग बताया ओर कहा कि सम्पूर्ण मानव जाति इस श्रेष्ठ मार्ग पर चलेगी तो उसे जीवन में कहीं कोई दुविधा नहीं आएगी।उनके विचार और सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी जीवन का सही मार्ग दिखाते रहेंगे।
आइए,इस पुण्य अवसर पर हम सभी उनके आदर्शों को आत्मसात करें और समाज में भाईचारे,समरसता व शांति बनाए रखने हेतु दृढ़ संकल्प लें।
"जय जिनेन्द्र",
"जय भगवान महावीर स्वामी"
#राजकुमार_सोनी_श्रीगंगानगर
09460917989
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