अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी के बलिदान दिवस पर विशेष
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दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे,आजाद ही रहें हैं और आजाद ही रहेंगे।
गत 8 जुलाई 2023 को प्रयागराज जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।बचपन में अनेक क्रांतिकारियों की जीवनियां पढ़ीं हैं।उस समय से ही चंद्रशेखर आजाद जी की जन्मभूमि और बलिदान के जगह को देखने का बड़ा मन रहा कि कभी एक बार उस भूमि को जरूर नतमस्तक होकर आऊंगा,जहां चंद्रशेखर जी ने अपना बलिदान दिया था।
वर्षों इंतजार के बाद जब गत वर्ष काशी और प्रयागराज जाने का सौभाग्य मिला तब अल्बर्ट पार्क जाकर आया।(जहां चंद्रशेखर आजाद जी ने अपना बलिदान दिया था)।यह पार्क 133 एकड़ में निर्मित है और प्रयागराज का सबसे बड़ा पार्क है।जिसका नाम योगी सरकार ने अल्बर्ट पार्क से बदलकर "चंद्रशेखर आजाद पार्क" कर दिया।
उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का धन्यवाद और आभार व्यक्त करूंगा कि उन्होंने उस गांव का नाम भी,जहां चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था(उत्तर प्रदेश के अलीराजपुर)के भाबरा गांव का नाम भी बदलकर "चंद्रशेखर आजाद नगर" कर दिया।
इस पार्क में लिखे शिलालेख पर यह अंकित है कि आजादी के इस दीवाने ने अंग्रेजी पुलिस ऑफिसर से घिरे होने और गोला बारूद खत्म होने के बाद कोई रास्ता न मिलने पर इसी जगह (अल्बर्ट पार्क) में खुद को गोली मारकर बलिदान कर दिया था।चंद्रशेखर आजाद की जीवनी में जिक्र आता है कि विश्वेश्वर सिंह पुलिस अफसर ने उन्हे ललकारा तभी चंद्रशेखर आजाद के रिवाल्वर की एक गोली उनका जबड़ा तोड़ते हुए निकल गई।तब तक चंद्रशेखर आजाद 39 राउंड फायर कर चुके थे।लास्ट बची एक गोली से उन्होंने अपने आप को शहीद कर लिया था।बड़ा सौभाग्यशाली हूं कि अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी की प्रतिमा(जहां आजाद शहीद हुए थे)के नीचे काफ़ी देर बैठकर चिंतन-मनन किया कि देश की आजादी के लिए ऐसा जज्बा।धन्य है ऐसी मां की कोख जिसने ऐसा वीर सपूत जन्मा। कहा जाता है न "ए जननी तू भक्त जन,या दाता या सूर,नहीं तो जननी बांझ रह काहे गवावे नूर"
ऐसे महान क्रांतिकारी और अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा से कोटि-कोटि वंदन करता हूं।
राजकुमार सोनी श्रीगंगानगर
पूर्व जिलाध्यक्ष भारतीय जनता युवा मोर्चा एवं भाजपा ओबीसी मोर्चा श्रीगंगानगर राज.

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